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2 Rupees Old Coin Sell : ₹2 का पुराना सिक्का, आपको बना सकता है करोड़पति , यहाँ पर बैचे

SB News Digital Desk : जमशेदपुर में लगी सिक्का और नोट प्रदर्शनी में पुराने सिक्कों और गलत प्रिंट के नोटों की कीमत जमकर लग रही है। पुराने जमाने के सिक्कों की कीमत लाखों में लग रही है।वहीं, नोटों की कीमत हजारों में लग रही है।

जमशेदपुर के तुलसी भवन में चल रही सिक्का प्रदर्शनी में सिक्कों के बहाने लोग जहां इतिहास समझने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं पुराने सिक्के का कारोबार भी खूब हो रहा है। पुराने सिक्के लाखों में तो गलत प्रिंट वाले नोट हजारों रुपये में बिक रहे हैं। लोग उसे खरीदने को उतावले भी नजर आ रहे हैं। इसको लेकर प्रदर्शनी के हर स्टॉल पर खरीदार मोलभाव करते नजर आ रहे हैं।

सिक्कों की प्रदर्शनी में स्टॉल लगाने वाले हरिशंकर दुबे कहते हैं कि उनका मूलपेशा ही सिक्कों का संग्रह करना है और इसी से उनका रोजगार भी चलता है। उनके पास सौ रुपये का गलत प्रिंट वाला एक नोट है, जिसकी कीमत उन्होंने 5 हजार रुपये रखी है। छापाखाने में नोट की कटिंग भी गलत हो गई है, जिस पर एक तरफ नंबर भी गायब है, पर उसे खरीदने वाले खूब मोलभाव कर रहे हैं।

इसी तरह कोलकाता के रविशंकर शर्मा के पास मुगल शासकों के कार्यकाल के सिक्के हैं। उनके पास सबसे अधिक आकर्षक नूरजहां के नाम से सिक्के हैं। इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपये तक है। शर्मा कहते हैं कि दुर्लभ मिंट का होने पर उसकी कीमत बढ़ जाती है।

मुगलकाल के अधिकतर सिक्कों की कीमत 15 हजार रुपये से शुरू होती है। इसके अलावा यदि कोई अन्य मार्क हो तो वह विदेश में बना है।साल 1985 से 2000 तक जब देश में सिक्कों की कमी थी तो 5 रुपये के सिक्के विदेश में बनवाए गए थे। 5 रुपये के जिन सिक्कों पर एच छपा है, वे लंदन के हिटेन टकसाल में बने थे। जिन सिक्कों पर सी लिखा है, वे कनाडा में बने हैं।

शर्मा के अनुसार, जो सिक्के कम मात्रा में बने हैं, वे उतने ही बहुमूल्य हैं। 1996 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म शताब्दी वर्ष पर 2 रुपये के सिक्के जारी किए गए थे। तब सरकार को मालूम चला कि 100 वर्ष 1997 में पूरा हो रहा है। तब सरकार ने सिक्के जारी करने का फैसला वापस ले लिया, तब वह सिक्का दुर्लभ हो गया था।

वर्कर्स कॉलेज इतिहास विभाग के यूजी और पीजी के विद्यार्थी तुलसी भवन में लगी सिक्का प्रदर्शनी में पहुंचे। विद्यार्थियों ने सिक्कों का इतिहास जाना। छात्र-छात्राओं को देश-विदेश तथा कुछ विलुप्त हो चुके सिक्कों के बारे में जानकारी दी गई। इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्वेता कुमारी, डॉ. प्रियंका कुमारी तथा डॉ. नूतन रानी ने नेतृत्व किया।

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