प्रदूषण के साइड इफेक्ट ने लिया जानलेवा रूप, नसों में जहर घोल रहा है पॉल्यूशन, डॉ. ने चेताया

Side Effects of Air Pollution: वायु प्रदूषण अब सांस की बीमारियों जैसे निमोनिया, छाती में इन्फेक्शन, सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़) के दायरे से आगे बढ़कर लोगों को कहीं अधिक प्रभावित कर रहा है। इसके चलते गर्भवती महिलाएं जोखिम पर हैं, युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है और फेफड़ों की बीमारियों …
 
प्रदूषण के साइड इफेक्ट ने लिया जानलेवा रूप, नसों में जहर घोल रहा है पॉल्यूशन, डॉ. ने चेताया


Side Effects of Air Pollution: वायु प्रदूषण अब सांस की बीमारियों जैसे निमोनिया, छाती में इन्फेक्शन, सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़) के दायरे से आगे बढ़कर लोगों को कहीं अधिक प्रभावित कर रहा है। इसके चलते गर्भवती महिलाएं जोखिम पर हैं, युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है और फेफड़ों की बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

नोएडा स्थित जेपी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ. शोवणा वैष्णवी ने बताया कि प्रदूषित हवा के कारण आंखों में खुजली और स्मॉग का सांसों के साथ भीतर जाना आपको भारी नुकसान पहुंचाता है। क्योंकि आपको पता भी नहीं चलता कि कब आप ने सांसों के साथ जहरीली हवा अपने भीतर ले ली और उसने खून में मिलकर जानलेवा रूप ले लिया।

हार्ट अटैक

हाल ही में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कई अध्ययनों के अनुसार वायु प्रदूषण इसका एक मुख्य कारण है। शोधकर्ताओं के मुताबिक वायु प्रदूषण धमनियों और शिराओं (आर्टरीज़ एवं वेन्स) को ब्लॉक करता है। जिससे रक्त का प्रवाह कम होता है और व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो जाता है। बहुत अधिक मात्रा में प्रदूषकों में सांस लेने से ब्लड क्लॉट भी बन जाते हैं।

डिमेंशिया

जर्नल ऑफ न्यूरोलोजी में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार फाईन पार्टीकुलेट मैटर में एक माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की बढ़ोतरी होने पर डिमेंशिया की संभावना 3 फीसदी बढ़ जाती है। पार्टीकुलेट मैटर में धूल, मिट्टी, धुआं और कालिख शामिल हैं, जो 2.5 माइक्रोमीटर से कम आकार के हैं और सबसे बड़ा खतरा हैं।

इनफर्टिलिटी

वैज्ञानिकों के अनुसार वायु प्रदूषण का असर लड़कों में आगे चलकर शुक्राणुओं की संख्या पर पड़ता है। वहीं अनुसंधान के मुताबिक, धुआं या कालिख गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में गर्भ तक पहुंच कर बच्चे के लिवर, फेफड़ों और दिमाग को भी नुकसान पहुंचाती है।

जिंदगी छोटी हो रही है

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि वायु प्रदूषण के कारण देश की राजधानी दिल्ली में संभावित आयु कम हो रही है। शिकागो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार शहर में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा लगभग 10 साल कम हो गई है। हर साल दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण लगभग 3 मिलियन मौतें समय से पहले हो जाती हैं।

फेफड़ों का कैंसर और सांस की बीमारी

वायु प्रदूषण के घातक परिणामों में अस्थमा और सीओपीडी जैसे रोग भी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का भी कारण है। आज हम घर के भीतर भी वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं, जिसके चलते आंख, नाक गले में खुजली, सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, सांस की बीमारियां, दिल की बीमारियां और कैंसर के मामले आम होते जा रहे हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।



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