हिमाचल कांग्रेस में गुटबाजी और 10 हजार करोड़ के चुनावी वादे, सुक्खू के सामने ये दो बड़ी चुनौतियां

हिमाचल में मुख्यमंत्री चुनने का मुश्किल काम कांग्रेस कर चुकी है लेकिन नई सरकार के सामने कई चुनौतियां मुंह खोले खड़ी हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के सामने सबसे पहली चुनौती पार्टी के अंदर की गुटबाजी को खत्म करने की है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी चुनौती वो चुनावी वादे हैं जिन्हें कांग्रेस ने चुनाव से पहले जनता से किए थे. गुटबाजी के कारण सीएम और डिप्टी सीएम के सामने कैबिनेट के गठन को लेकर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतीभा सिंह को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने के कारण उनके समर्थक पहले से ही नाराज बताए जा रहे हैं. सीएम के नाम के ऐलान के बाद खुली सड़क पर उनकी नारेबाजी किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में सबसे अहम रुख प्रतीभा सिंह का रहने वाला है. सवाल है कि वो अपने खेमे को किस प्रकार के मोलभाव के साथ संतुष्ट कर पाएंगी.
प्रतीभा सिंह के बेटे को मिलेगा खास मंत्रालय!
चर्चा है कि प्रतीभा सिंह अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में अहम विभाग देने के लिए कह सकती हैं. शिमला ग्रामीण सीट से जीत करने वाले विक्रमादित्य सिंह को राज्य की कैबिनेट में खास मंत्रालय मिलना तय माना जा रहा है. कांग्रेस के लिए पार्टी के अंदर की गुटबाजी के साथ-साथ चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए सुक्खू सरकार को पैसा जुटाना होगा.
एक अनुमान के मुताबिक कांग्रेस के वादों को पूरा करने में एक साल में करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब सवाल है कि ये पैसे आएंगे कहां से? इस साल के मार्च हिमाचल करीब 65,000 करोड़ रुपये के कर्ज में था.
इन चुनावी वादों को पूरा करना टेढ़ी खीर!
– पहले साल में 1 लाख नौकरी देने का वादा किया गया है. राज्य में वर्तमान में 62,000 खाली पदों को भरना होगा, इससे सरकार की लागत बढ़ेगी.
– राज्य में वयस्क महिलाओं को 1500 रुपये देने के वादे को पूरा करने में 5,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे.
– कांग्रेस के हर घर को 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने के वादे पर एक साल में 2,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
– पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का वादा कांग्रेस के लिए कठिन चुनौती बन सकता है.
– कांग्रेस ने सरकार की वापसी पर 680 करोड़ रुपये की ‘स्टार्टअप निधि’ बनाने का भी वादा किया है.
– प्रदेश के सभी बुजुर्गों के लिए 4 साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा का भी वादा किया गया था.
वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के मुताबिक, हिमाचल को 50,300.41 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है, वहीं, 51,364.76 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है. एक अनुमान के मुताबिक, 2022-23 में हिमाचल का राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये रह सकता है.
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