अगर आप भी Online Payment करते है तो इन बातो का ध्यान जरुर रखे , नहीं तो आप का Account हो सकता है हेक

 
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SB News Digital Desk,नई दिल्ली: अगर आप भी Online Payment करते है तो इन बातो का ध्यान जरुर रखे , नहीं तो आप का Account हो सकता है हेक,डिजिटल लेनदेन के मामले में भारत लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। हालांकि साइबर फ्रॉड और हैंकिंग की घटनाएं ऑनलाइन पेमेंट की राह में रोड़ा बनी हुई हैं। ऐसे में किस तरह से सुरक्षित ऑनलाइन लेनदेन किया जाए? वहीं डेटा चोरी और उसके गलत इस्तेमाल को लेकर क्या सावधानियां बरतने की जरूरत है। इस बारे में NBT ने द डायलॉग के इब्राहिम खत्री से बातचीत की है।

डिजिटल सारक्षता को लेकर देश में क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है? सरकार और प्राइवेट संस्थानों की तरफ से डिजिटल साक्षरता के लिए क्या किया जा रहा है?



भारत में डिजिटल साक्षरता काफी अहम रोल अदा करती है। यह उन लोगों के बीच की खाई को पाटने का काम करती हैं, जिनके पास डिजिटल रिसोर्स मौजूद हैं और जिनके पास नहीं हैं। यह डिजिटल साक्षरता शिक्षा, रोजगार, फाइनेंशियल सर्विस की लोगों तक पहुंच को आसान बनाती है। साथ ही इनोवेशन और इकोनॉमी ग्रोथ को बढ़ावा देती है।


प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) की ओर से देशभर के करीब 5 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को डिजिटल स्किल्ड किया गया है। साथ ही सरकार की ओर से राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (एनडीएलएम) अभियान भी चलाया गया।

कंपनियों ने की पहल


प्राइवेट कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट की ओर से भी इसी तरह के कदम उठाए गए हैं। वही LinkedIn की डिजिटल स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम और इंडस्ट्री बॉडी जैसे NASSCOM ने भारत खासकार ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने का काम किया है।

इसका पता लगाना काफी मुश्किल है। लेकिन अगर कुछ बातों पर ध्यान दें, तो आपको संकेत मिल सकते हैं कि कौन सी कंपनी आपके पर्सनल डेटा को बिना इजाजत कलेक्ट कर रही हैं-


प्राइवेसी और पॉलिसी -अगर किसी कंपनी ने प्राइवेसी पॉलिसी के बारे में सही से नहीं बताया है या फिर वो यूजर्स को नहीं बताती है कि उसकी तरफ से कौन से डेटा को कलेक्ट किया जाता है? साथ ही उस डेटा को कैसे प्रोसेस किया जाता है और यूजर डेटा को थर्ड पार्टी के साथ कंपनियों के साथ साझा किया जा रहा है या नहीं? अगर यह संकेत मिलते हैं, तो हो सकता है कंपनी बिना इजाजत आपके डेटा का इस्तेमाल कर रही है।


ऐप परमिशन - अगर कोई ऐप आपके कंप्यूटर, फोन या फिर लैपटॉप के परमिशन को एक्सेस करने की इजाजत मांगता है और आपको लगता है कि उस सर्विस के लिए परमिशन देना जरूरी नहीं है, तो यह संकेत है कि ऐप आपकी बिना इजाजत के आपके डेटा को कलेक्ट करना चाहता है।


अगर कोई कंपनी बिना आपकी इजाजत के डेटा कलेक्ट करती है, तो इसके खिलाफ कौन से कानून मौजूद हैं? डेटा प्राइवेसी बिल में किस तरह के प्रावधान किए गए हैं?

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (DPDPB'22) कानून बनने की दिशा में है। इसमें कंपनियों के डेटा कलेक्ट करने से लेकर उसके स्टोरेज और इस्तेमाल को लेकर नियम बनाए गए हैं। हालांकि अभी भारत में इसे संसद से पास होकर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाना है। इसके बाद यह कानून बन जाएगा। इस बिल के कानून बनने के बाद कंपनियों को डेटा कलेक्ट करने से लेकर उसके इस्तेमाल की जानकारी साझा करनी होगी। इसक कानून को सही तरह से लागू करने के लिए डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की जाएगी। कुल मिलाकर, पीडीपीबी का मकसद भारतीय नागरिकों की प्राइवेसी और डेटा सेफ्टी करना है, जो ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से हो।

साइबर फ्रॉड और हैकिंग की घटनाओं को कंट्रोल करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर कई सारी सावधानियों का ख्याल रखना होगा। जैसे यूजर्स को जटिल और अलग-अलग तरह के पासवर्ड बनाने होंगे। डिजिटल डिवाइस में मल्टी फैक्टर अथेंटिकेशन को ऑन करना होगा। साथ ही समय-समय पर सॉफ्टवेयर अपडेट करना होगा। इसके अलावा एंटी वायरस और एंटी मालवेयर को इंस्टॉल करना होगा। साइबर सिक्योरिटी जागरुकता पर ध्यान देना होगा। डेटा का समय-समय पर बैकअप लेना चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की निगरानी करनी होगी और एन्क्रिप्शन को बढ़ावा देना होगा।

  यूजर्स को महेशा विश्वसनीय और भरोसेमंद पेमेंट प्रोसेस का इस्तेमाल करना चाहिए। अपनी पर्सनल जानकारी को हमेशा गोपनीय रखना चाहिए। किसी के साथ ओटीपी और अन्य डिटेल नहीं साझा करनी चाहिए। अगर फ्रॉड हो गया है, उसे उस पर्सनली नेशनल साइबर क्रिमिनस रिपोर्टिंग पोर्टल पर https://cybercrime.gov.in/ पर शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके लिए लोकल पुलिस स्टेशन को कॉन्टैक्ट करना होगा। इसके बाद साइबर क्रिमिनल इन्वेस्टिंगेशन सेल या फिर इंडियन कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पांस टीम (CERT-In) को जानकारी देनी होगी। ऐसे किसी भी अपराध की सही समय पर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी, जिससे समय पर एक्शन लिया जा सके।


भारतीय जांच एजेंसियों की ओर से डिजिटल फ्रॉड और डेटा फ्रॉड को रोकने और डेटा और फ्रॉड के लिए जवाबदेही तय करने और पहचान के लिए कम कर रही हैं। भारत की डिजिटल लेंडिंग मार्कट तेजी से ग्रोथ कर रही है। साल 2021-22 में करीब 2.2 बिलियन डॉलर लोन की सुविधा दी गई है। भारत सरकार की तरफ से डिजिटल लेंडिंग मार्केट को रेगुलेट करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिससे फ्रॉड को कंट्रोल किया जा सके। इस लेकर इस साल एक लेडिंग गाइडलाइन जारी की गई है। इन दिशानिर्देशों पर ध्यान देने की जरूरत है।

कंपनियों को एक विस्तृत प्राइवेसी पॉलिसी की वेबसाइट बनानी होगी। इमसें कंपनियों को बताना होगा कि वो थर्ड पार्टी ऐप्स को कौन सा यूजर डेटा दे रही हैं। इसके अलावा डेटा के कलेक्शन, इस्तेमाल, शेयरिंग और मॉनिटाइजेशन की जानकारी देनी होगी।

रेगुलेटेड इकाइयों को डेटा के प्राइवेसी और सेफ्टी और स्टोरेज को लेकर उत्तरदायी बनाना होगा। इन इकाइयों को को बताना होगा कि लोन सर्विस देने वाली कंपनियां तय टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड का पालन कर रही हैं या नहं।

साइबर फ्रॉड की घटनाओं में इन दिनों फ़िशिंग स्कैम, मैलवेयर अटैक, आइडेंटिटी की चोरी और रैनसमवेयर अटैक शामिल हैं।
डिजिटल पेमेंट फ्रॉड के लिए सिंथेटिक आइडेंटिटी का इस्तेमाल सबसे तेजी से बढ़ रहा है। इसमें रियल और फेक इन्फॉर्मेंशन को शामिल करके फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है। ऐसे फ्रॉड में रियल इंसान न होने की वजह से पहचान करना मुश्किल हो जाता है। आधार बेस्ड केवाईसी भारत में इस खतरे को कम करता है। लेकिन ग्लोबली यह एक पॉपुलर जोखिम है।

भारत सरकार साइबर सेफ्टी के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है। साथ ही लोगों के बीच साइबर फ्रॉड की जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (DPDPB'22) बनने और इसके लागू होने के बाद साइबर फ्रॉड से सख्ती से निपटा जाएगा।

साइबर और डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए क्या लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और सॉल्यूशन्स मौजूद हैं।

डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए AI-बेस्ड सिक्योरिटी सॉल्यूशन मौजूद हैं। साथ ही ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और बायोमेट्रिक अथेंटिकेशन और विहेवियर एनलिसिस जैसी इनोवेशन टेक्नोलॉजी मौजूद हैं।

AI बेस्ट कंप्यूटर सिस्टम इंसानों के मुकाबले लाखों डेटा को एनालाइज करके ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम की कमियों को दूर कर रहा है। साथ ही मशीन लर्निंग मॉडल ग्राहकों, लेनदेन और डिवाइस और फ्रॉड की घटनाओं में कमी ला रहा है।


ऑनलाइन जोखियों और सेफ्टी के लिए कई सारी बीमा पॉलिसी मौजूद हैं। इसमें अनधिकृत डिजिटल लेनदेन, पहचान की चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी, सोशल मीडिया और मीडिया देयता, साथ ही डेटा बहाली और मैलवेयर परिशोधन से संबंधित खर्च को शामिल किया गया है।

बीमा कंपनियां साइबर हमलों की वजह से होने वाले नुकसान के लिए कवरेज प्रदान करती हैं। आने वाले दिनों में साइबर सुरक्षा बीमा पॉलिसी की डिमांड बडने की उम्मीद है। इससे यूजर्स सुरक्षित ऑनलाइन काम कर सकते हैं।


डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए व्यक्तियों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। डिजिटल पेमेंट करते वक्त नकली URL से सावधान रहना चाहिए, जो रियल वेबसाइट जैसे दिखते हैं। फेक वेबसाइट दिखने में तो रियल लगती हैं। लेकिन जब आब गौर से देखेंगे, तो पाएंगे कि फेस वेबसाइट और लिंक की स्पेशल गलती होती है। ऐसे में इन वेबसाइट के इस्तेमाल के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। डिजिटल पेमेंट के लिए व्यक्तिगत जानकारी साझा करने या फोन पर पैसे ट्रांसफर करने से भी बचना चाहिए। साथ ही पब्लिक क्यूआर कोड की जांच करना चाहिए। इसके अलावा बायोमेट्रिक का सावधानी से इस्तेमाल करें। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों को हर एक अकाउंट के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखना चाहिए।

यूजर आईडी, पासवर्ड, या पिन प्रकट करने, सहेजने या लिखने से बचना चाहिए। जैसा कि मालूम है कि बैंक कभी भी उनकी यूजर आईडी, पासवर्ड, कार्ड नंबर, पिन, सीवीवी या ओटीपी नहीं मांगते है। ऐसे में यह डिटेल किसी के साथ साझा नहीं करनी चाहिए। लॉगिन जानकारी को उनकी सहमति के बिना संग्रहीत और एक्सेस करने से रोकने के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि व्यक्ति अपने डिवाइस पर "ऑटो सेव" या "रिमेम्बर" सुविधा को अक्षम कर दें।

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