Father's Day: 'वो टॉफी का रैपर आज भी मेरे पास है'

लगा जैसे मेरी पूरी दुनिया खत्म हो गई
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कुछ ही देर में दादी, चाचा-चाची सभी घर में आने लगे। मुझे अंदर से एहसास होने लगा कि कुछ तो हुआ है, लेकिन मैं ये नहीं समझ पा रहा था कि क्या हुआ है? फिर जो हुआ मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो पाया। सफेद कपड़े में लिपटे एक लंबे चौड़े शख्स को चार लोग मेरी घर की दहलीज से अंदर ला रहे थे। और उस दिन लगा जैसे मेरी पूरी दुनिया ही खत्म हो गई। इसके साथ मेरा बचपना भी खत्म हो गया।
खेलने की उस उम्र में छोटे भाई और मां की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। रंग-बिरंगे कपड़े पहनने वाली मेरी मां बिन मंगलसूत्र मेरे सामने खड़ी थी। छोटे भाई को उस समय कुछ समझ भी नहीं थी। जिस पिता का मैं हाथ पकड़कर चला था, उन्हें मैं मुखाग्नि दे रहा था। उनकी दी आखिरी टॉफी के कागज को मैंने कूड़ेदान में से ढूंढकर निकाला।
मैं आपको हर दिन याद करता हूं पापा
इस बात को अब 5 साल हो चुके हैं। मैं हर रोज उनकी तस्वीर के सामने जाकर खड़ा हो जाता हूं और उन्हें मां व छोटे भाई का हाल बताता हूं। इस दौरान मैं उन्हें बताता हूं कि जिंदगी में क्या चल रहा है और सवाल भी पूछता हूं। मुझे पता है कि आज जिस जगह भी मेरे पापा होंगे, उन्हें इस बात की खुशी जरूर होगी कि उनका बेटा आज कितना बड़ा हो गया और वह बिना मदद के घर संभालने लगा है।
पापा की बहुत याद आती है, मगर मां के सामने दिखा नहीं सकते। उनकी हालत काफी नाजुक रहती है। पापा के कपड़े देख वह रो लेती हैं। इस वजह से कभी-कभी मैं कमरे में जोर से गाने चलाकर फूट-फूटकर रो लेता हूं। पापा आपको मैं हर रोज याद करता हूं।”-अंकित मिश्रा
[Content Contribution: Prakhar Srivastava (Intern)]
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