Delhi AIIMS: नए साल से एम्स में होगा बदलाव, बिना आभा नंबर के मरीजों को OPD में दिखाना होगा मुश्किल

नई दिल्ली। देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स में इलाज कराना है तो अपना आभा नवंबर बनवा लें। आगे चलकर एम्स की ओपीडी में सिर्फ आभा नगर से ही मरीजों का इलाज होगा। आभा नंबर के बगैर एम्स की ओपीडी में इलाज के लिए कार्ड बनवाना मुश्किल होगा। एम्स की ओपीडी लाबी में इन दिनों यह उद्घोषणा करके मरीजों को इसकी जानकारी दी जा रही है।
साथ ही ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों का अस्पताल में ही आभा नंबर भी तैयार किया जा रहा है। अगले माह जनवरी से एम्स के मुख्य अस्पताल की ओपीडी में आभा नंबर से ही मरीजों का इलाज होगा।
लाइन लगने से मिलेगा छुटकारा
इससे ओपीडी में मरीजों का इलाज आसान हो जाएगा। ओपीडी पंजीकरण के लिए मरीजों को लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्यूआर कोड स्कैन करके आसानी से ओपीडी पंजीकरण कराया जा सकेगा। इसलिए मुख्य ओपीडी ब्लाक के पंजीकरण काउंटर के पास क्यूआर कोड चस्पा दिया गया है। इसके अलावा मरीजों का आभा नंबर तैयार करने के लिए कई कर्मचारी लगाए गए हैं, जो अपने स्मार्ट फोन के जरिये मरीजों का आभा नंबर तैयार करते हैं।
17 नवंबर को जारी किया था आदेश
एम्स ने आभा नंबर से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू करने के लिए पिछले माह 17 नवंबर को आदेश जारी किया था। एम्स प्रशासन ने सबसे पहले मुख्य अस्पताल की ओपीडी में इस सुविधा को शुरू करने की तैयारी की थी। इसके बाद अन्य सेंटरों की ओपीडी में मिशन मोड में इसे लागू करने का लक्ष्य है।
23 नवंबर को एम्स की सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक की घटना के कारण एम्स के मुख्य अस्पताल की ओपीडी में आभा नंबर से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू करने की योजना पर अमल सुनिश्चित नहीं हो पाई। लेकिन अब एक जनवरी से इसे मुख्य ओपीडी ब्लाक में सिर्फ आभा नंबर से ही ओपीडी की सुविधा शुरू करने की तैयारी है। इसका मकसद डिजिटल हेल्थ मिशन को बढ़ावा देना है।
कोविन पोर्टल से खुद बनाया जा सकता है आभा नंबर
कोरोना के टीकाकरण के पंजीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाले कोविन पोर्टल व कोविन एप के माध्यम से आसानी से अपना आभा नंबर तैयार किया जा सकता है। कोविन पोर्टल पर आभा (हेल्थ आइडी) का लिंक मौजूद है। उसे क्लिक करके आभा नंबर नंबर तैयार किया जा सकता है। यह आभा नंबर आधार नंबर से जुड़ा होता है। इसकी मदद से ओपीडी पंजीकरण में ज्यादा समय नहीं लगेगा। एम्स प्रशासन ओपीडी पंजीकरण के लिए होने वाली भीड़ की समस्या दूर करने के लिए इसे जल्द पूरी तरह लागू करना चाहता है। इसका दूसरा फायदा मरीजों को यह होगा कि उन्हें इलाज के लिए हमेशा फाइल अपने पास रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आनलाइन पूरा रिकार्ड मौजूद रहेगा।
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