Business Idea: खेती करने के लिए मिट्टी-पानी और मौसम पर नहीं रहना होगा निर्भर, ऐसे करें बंपर कमाई, जानें पूरी जानकारी

SB News Digital Desk, नई दिल्ली : Business Idea: खेती करने के लिए मिट्टी-पानी और मौसम पर नहीं रहना होगा निर्भर, ऐसे करें बंपर कमाई, जानें पूरी जानकारी, वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है। जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर मिलेगी। सबसे खास बात है कि शहरी इलाकों में भी इस तकनीक की मदद से खेती की जा सकती है। इसमें किसानों को मिट्टी-पानी और मौसम पर नहीं रहना पड़ता है
मौजूदा दौर में जिस तरीके से आबादी में इजाफा हो रहा है। इससे खेती का आकार सिकुड़ रहा है। ऐसे में अब वो दिन दूर नहीं रह गए हैं। जब तमाम फल और सब्जियां खेतों के बजाय फैक्ट्रियों में उगाई जाने लगेंगी। इजराइल ने एक नई टेक्नोलॉजी के जरिए खेती करनी शुरू कर दी है। इसका नाम वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) है। अब भारत में भी इस टेक्नोलॉजी के जरिए खेती शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र में एक कंपनी (A S Agri and Aqua LLP) का ऐसा ही प्रोजेक्ट चल भी रहा है। जिसमें हल्दी की खेती (How to do vertical farming of turmeric) की जा रही है।
यह वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है। जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं, तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर मिलेगी। यानी एक एकड़ में ही जो आपको एरिया मिलता है। उसमें 100 एकड़ के बराबर एरिया मिल जाता है। कुल मिलाकर इस टेक्नोलॉजी में फसल को उगाने के लिए जमीन की जरूरत नहीं है। यह जमीन के ऊपर कई लेयर में खेती की जाती है।
वर्टिकल फार्मिंग के लिए एक बड़ा सेट बनाना होता है। जिसका तापमान 12 से 26 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है। फिर इसमें करीब 2-3 फुट के लंबे और चौडे कंटेनर्स में वर्टिकल तरीके से पाइप सेट कर दिया जाता है। इसमें ऊपर का हिस्सा खुला रखा जाता है। जिसमें हल्दी की खेती होती है। वैसे तो वर्टिकल फार्मिंग अधिकतर लोग हाइड्रोपोनिक या एक्वापोनिक तरीके से करते हैं। जिसे जमीन पर नहीं किया जाता है।
लेकिन इसमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। तापमान को कंट्रोल करने के लिए फॉगर्स लगाए जाते हैं, जो तापमान बढ़ते ही पानी का फुहारा बरसाने लगते हैं और तापमान सामान्य हो जाता है। इसमें एक बार पाइप लगाने के बाद लंबे समय तक पाइप बदलने की जरूरत नहीं है।
अगर वर्टिकल फार्मिंग के जरिए हल्दी उगाना हो तो 10-10 सेमी की दूरी पर जिग-जैग तरीके से हल्दी के बीज बोए जाते हैं। जैसे-जैसे हल्दी बढ़ती जाती है। इसके पत्ते किनारे की जगह से बाहर की तरफ निकल जाते हैं। हल्दी को अधिक धूप की जरूरत नहीं होती और यह छाया में भी अच्छी पैदावार होती है। ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक से हल्दी का बहुत अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
9 महीने में हल्दी की फसल तैयार हो जाती है। हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद दोबारा हल्दी लगाई जा सकती है। यानी 3 साल में 4 बार हल्दी की फसल की जा सकती है। जबकि सामान्य खेती में 1 साल में एक ही बार फसल ली जा सकती है। इसकी वजह ये है कि मौसम का भी ध्यान रखना होता है।
इसमें खेती करने के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होता है। यानी आप जब चाहे तब खेती कर सकते हैं। यह खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है। ऐसे में कीट-पतंगों से नुकसान या बारिश या आंधी-तूफान से नुकसान की आशंका भी नहीं रहती है। बशर्ते आपके शेड को कोई नुकसान ना पहुंचे। इस तरह की खेती में सिंचाई में पानी की भी खूब बचत होती है। हालांकि, फॉगर्स में पानी खर्च होता ही है।
हल्दी का इस्तेमाल ना सिर्फ घरों में खाने में होता है, बल्कि कॉस्मेटिक्स और फार्मा इंडस्ट्री में भी इसका बहुत अधिक इस्तेमाल (benefits of Turmeric Farming) होता है। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस तकनीक से आप 1 एकड़ में 100 एकड़ के बराबर उत्पादन ले सकते हैं और हल्दी की खेती से करीब 2.5 करोड़ रुपये की कमाई (profit in Vertical Farming) कर सकते हैं।
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