5 दिसंबर को अलकायदा ने सना के रक्षा मंत्रालय में खेली ‘खूनी होली’, जो दिखा.. वो मरता गया

5 दिसंबर 2013…यही वो तारीख थी जब ‘अलकायदा’ के आतंकवादियों ने यमन के रक्षा मंत्रालय को बम के गोलों से ऐसा दहलाया था जिसके स्मरण भर से राजधानी सना कांप उठती है. सना में स्थित रक्षा मंत्रालय में आतंकियों के एक समूह ने भीषण गोलीबारी और बमबारी में कम से कम 56 लोगों की जिंदगियां छीन ली थी. जबकि इन हमलों में 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. हैरान करने वाली बात यह है कि भारी सुरक्षा के बीच रक्षा मंत्रालय में आतंकवादियों ने घुसकर इस हमले को अंजाम दिया था. लगभग 12 आतंकी इस हमले के लिए जिम्मेदार थे, जिनमें से ज्यादातर सऊदी अरब के थे.
रक्षा मंत्रालय पर दो तरफ से हमला किया गया था. विस्फोटकों से भरी एक कार मंत्रालय के एंट्री गेट पर आई. एंट्री गेट पर पहुंचते ही कार में मौजूद बम फट गया. जिसकी वजह से कई नागरिक मारे गए. मंत्रालय परिसर के आसपास मौजूद चार गार्डों की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस घटना को अंजाम देने के बाद आतंकवादियों ने मंत्रालय परिसर के अंदर घुसकर अल-उरादी अस्पताल में तबाही मचाही. दहशतगर्दों ने अस्पताल में प्रवेश के साथ ही अंदर मौजूद डॉक्टरों, नर्सों और मरीजों को निशाना बनाया और उनपर दनादन गोलियां बरसा दीं.
जो सामने दिखता गया, उसे मारते चले गए
बताया जाता है कि इस हमले का सबसे ज्यादा शिकार डॉक्टर, नर्स और मरीज ही हुए, जो परिसर में स्थित सैन्य हॉस्पिटल में उस समय मौजूद थे. मरने वालों में न सिर्फ यमन के डॉक्टर्स और नागरिक शामिल थे, बल्कि भारत, फिलिपींस, जर्मनी और वियतनाम के नागरिक भी मारे गए थे. उस समय सामने आईं कई वीडियोज़ में आतंकियों का वहशीपना देखा गया. बंदूक से लैस दहशतगर्दों ने वार्डों और गलियारों में जो सामने दिखता गया, उसपर गोलियां बरसाते चले गए. हद तो तब हो गई जब झुंड में एक जगह खड़े मरीजों के बीच जाकर एक आतंकी ने ग्रेनेड रख दिया, जिसके फटने पर किसी की चीख तक न निकल सकी.
अल-कायदा ने मांगी थी माफी
अल-कायदा ने 5 दिसंबर को सैन्य अस्पताल पर हुए हमले के लिए माफी मांगी थी. अल-कायदा का उस समय का नेता कासिम अल-रायमी ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय में हमले के दौरान उसके एक लड़ाके ने आदेश का उल्लंघन किया और डॉक्टरों और मरीजों को निशाना बनाया. जबकि ऐसा करने का इरादा बिल्कुल नहीं था. इस हमले के बाद फिलीपींस ने यमन में अपने प्रवासी श्रमिकों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इसमें 7 फिलिपियंस की मौत हुई थी. वहीं, जर्मनी ने सना में अपने दूतावास में कार्यरत कर्मचारियों को अस्थायी रूप से कम कर दिया था और यमन में अपने सहायता कर्मियों को जितनी जल्दी हो सके देश छोड़ने को कहा था. इस हमले में एक भारतीय नर्स की भी मौत हुई थी. इसके अलावा, दो जर्मन सहायताकर्मी, दो वियतनामी डॉक्टर और फिलीपींस के 7 डॉक्टर मारे गए थे.
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