Sonipat: शराब की लाखों पेटियों का लेखा-जोखा ठेकेदारों के रिकॉर्ड से गायब, जुर्माना लगाकर रिकवरी के आदेश जारी

सोनीपत। प्रदेश के विभिन्न जिलों में शराब की लाखों पेटियां गायब हैं। ठेकेदारों के पास इन पेटियों की बिक्री से संबंधित कोई रिकार्ड नहीं हैं। इस पर आबकारी विभाग के अधिकारियों ने इन ठेकेदारों के खिलाफ ब्रिच केस बनाकर मुख्याल भेज दिए है। मुख्यालय ने इन ठेकेदारों पर जुर्माना लगाकर वसूली के आदेश दिए हैं। पिछले साल ऐसे ठेकेदारों से 82.94 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूल किए गए थे।
विभाग के पास पहुंचा 48 करोड़ रुपये का जुर्माना
बता दें कि इस साल 48 करोड़ रुपये का जुर्माना अब तक विभाग के पास जमा हो चुका है। जिलों में एल-1 और एल-13 शराब ठेकों पर शराब का कोटा तय होता है। ठेकेदार डिस्टलरी से अपने तय कोटे के अनुसार शराब उठाते हैं, लेकिन कई बार उनको अधिक शराब की जरूरत होती है।
ऐसे में वे आबकारी से एक्सेस शराब का परमिट जारी कराकर उस शराब पर बन रहे टैक्स को विभाग में जमा कराने के बाद डिस्टलरी से अधिक शराब उठा लेते हैं। इस परमिट को आबकारी निरीक्षक जारी कराता है और ईटीओ (एक्साइज एंड टैक्सेशन आफिसर) या एईटीओ (असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन आफिसर) इसे अप्रूवल देता है। इसके बाद ठेकेदार को एक्सेस शराब उठाने के लिए परमिट जारी कर दिया जाता है।
इन मामलों में ठेकेदारों ने डिस्टलरियों से एक्सेस शराब तो उठा ली, लेकिन इसे कहां पर बेचा, इसका रिकार्ड नहीं रखा है। अब विभाग ने जब इनके गोदामों में स्टाक का मिलान किया तो लाखों पेटियों की बिक्री का रिकार्ड ही नहीं मिला। सोनीपत में एक ठेकेदार के गोदाम में शराब की पांच लाख से अधिक पेटियों का रिकार्ड नहीं मिला। इसके बाद पड़ताल की गई तो प्रदेश के दर्जनभर जिले ऐसे मिले जहां पर शराब की लाखों पेटियां गायब हैं।
कई जिलों में ठेकेदारों का दामन दागदार
सोनीपत की तरह पानीपत, करनाल, अंबाला, यमुनानगर के साथ ही दर्जनभर जिलों में ठेकेदारों के गोदाम में स्टाक कम पाया गया है। विभिन्न जिलों के डीईटीसी (उप जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त) ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ ब्रिच केस बनाकर मुख्यालय को भेजे हैं। इसके बाद वहां से इन ठेकेदारों पर जुर्माना लगाकर रिकवरी के आदेश जारी किए गए।
इस साल विभिन्न जिलों से मुख्यालय को 156 ब्रिच केस भेजे गए। इनमें से 56 ठेकेदारों को लिप्त पाया गया। उनका लाइसेंस सस्पेंड कर गोदामों को सील कर दिया गया। इस साल अब तक 48 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में वसूले जा चुके हैं। वहीं प्रदेशभर में वर्ष 2021-22 में कुल 254 ब्रिच केस बनाए गए थे। इन ठेकेदारों से जुर्माने के रूप में 82.94 करोड़ रुपये वसूले किए गए थे।
यह है प्रक्रिया
स्टाक शार्टलिस्ट मिलने पर डीईटीसी ब्रिच केस बनाकर मुख्यालय को भेजते हैं। मुख्यालय के अधिकारी तय करते हैं की कितना टैक्स और कितना जुर्माना लगाया जाना है। तुरंत टैक्स व जुर्माना नहीं जमा कराने पर ठेकेदार का लाइसेंस सस्पेंड कर गोदाम को सील कर दिया जाता है। अगर ठेकेदार फिर भी रुपये नहीं जमा कराता तो उसके बैंक खाते फ्रीज कर उसकी संपत्ति को नीलाम किया जा सकता है।
ठेकेदारों की मनमानी रोकने के लिए यह प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। ठेकेदार से पूरे साल का लाइसेंस पहले ही ले लिया जाता है। इसके बाद गारंटी के रूप में बैंक खाते और उसकी संपत्ति के दस्तावेज रख लिए जाते हैं। अगर ठेकेदार तय ड्यूटी या जुर्माना नहीं जमा कराता तो उसके खाते फ्रीज कर उसकी संपत्ति नीलाम कर दी जाती है। – आशुतोष राजन, कलेक्टर आबकारी व संयुक्त आबकारी एवं कराधान आयुक्त, पंचकूला
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