गेहूं की खेती करते समय इन बातों का रखे ध्यान, पहले से 3 गुण ज्यादा होंगी पैदावार

SB News Digital Desk : गेहूं की खेती करते समय इन बातों का रखे ध्यान, पहले से 3 गुण ज्यादा होंगी पैदावार, अगर आप भी गेंहू की बुआई करते हो तो फिर आप इन बातों का ध्यान जरूर रखना इसके साथ ही मिट्टी की जांच करवाना जरुरी है. अच्छी पैदावार लेने के सिए उत्तम किस्म के बीज की बुआई करें.
वर्तमान समय की अगर बात की जाए तो किसानों द्वारा गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है. लेकिन देखा जाता है कि किसानों को यह चिंता हमेशा सताती है. जिस तरीके से फसल की बुवाई करते हुए लागत लग रही है. उसी तरीके से मुनाफा होगा या नहीं. आज हम इस खबर के माध्यम से बताएंगे किस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति को अपनाते हुए गेहूं की फसल में डबल मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर स्थित आनुवंशिकी और पादप प्रजनन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर शैलेंद्र सिंह गौरव ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि 15 अक्टूबर से 15 जनवरी तक गेहूं की बुवाई के लिए काफी अच्छा मौसम माना जाता है. जिसमें 15 अक्टूबर से 15 नवंबर, 15 नवंबर से 15 दिसंबर और 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक किसान खेतों में गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. इसके बाद अगर गेहूं की बुवाई करते हैं.
तो उस प्रकार से पौधे का अंकुरण नहीं होगा. जिससे किसानों को काफी नुकसान होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. इसलिए किसान बीज खरीदते समय संबंधित व्यक्ति से उसकी वैरायटी के बारे में जान ले. जिससे कि जिस समय आप बुवाई कर रहे हैं. उस समय की अगर वैरायटी आप बोएंगे तो आपको अधिक मुनाफा होगा. अगर इसके विपरीत आपने बुवाई की तो आपको भारी नुकसान हो सकता है.
प्रोफेसर डॉक्टर शैलेंद्र सिंह गौरव कहते हैं की मिट्टी की जांच वर्तमान समय में काफी आवश्यक हो गई है. मिट्टी की जांच करने के पश्चात आपको यह पता चल जाएगा कि आपकी खेत में कितनी उपजाऊ क्षमता है. उसके अनुसार ही जब आप उसमें फर्टिलाइजर देंगे. तो आपको फायदा होगा. लेकिन आपको जब यही नहीं पता होगा कि आपकी जमीन में कितनी क्षमता है. उसके विपरीत आप उसमें खाद या अन्य प्रकार की दवाइयां डालेंगे. तो उससे फसल को नुकसान होता है.
अक्सर देखा जाता है कि कोई भी फसल किसान द्वारा उगाई जाए. उसमें विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती है. जिसमें कई प्रकार की दवाइयां का भी किसान प्रयोग करने लगे हैं. लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि जिस समय अवधि में आपने गेहूं की बुवाई की है. उसके अनुसार ही दवाई का छिड़़काव भी होना चाहिए. बताते चलें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ की बात की जाए तो गन्ने की फसल के साथ बड़ी मात्रा पर यहां पर गेहूं की फसल की बुवाई किसानों द्वारा की जाती है.