छठ पूजा का महापर्व कब शुरू होगा जाने ओर इसकी यह 4 महत्वपूर्ण बातें भी

SB News Digital Desk: उत्तर भारत का लोकपर्व छठ पूजा हिंदुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में शामिल है. दिवाली के कुछ दिन बाद मनाया जाने वाला पर्व प्रमुख तौर पर बिहार और पूर्वांचल में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा पर्व में सूर्य भगवान और छठी माता की पूजा की जाती है. साथ ही छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दौरान व्रती महिलाएं पानी तक नहीं पीती हैं. इसलिए छठ व्रत बहुत कठिन भी होता है. आइए जानते हैं कि इस साल छठ पूजा कब से शुरू हो रही है और नहाय खाए, खरना आदि किस तारीख को हैं.
इस साल छठ महापर्व 17 नवंबर 2023, शुक्रवार से शुरू होगा और 20 नवंबर 2023, सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा.
नहाय खाय - 17 नवंबर 2023, शुक्रवार
खरना - 18 नवंबर 2023, शनिवार
छठ पूजा 2023 (संध्या अर्घ्य) - 19 नवंबर 2023, रविवार
उगते सूर्य को अर्घ्य - 20 नवंबर 2023, सोमवार
नहाय खाए से शुरुआत- छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से होती है. इस दिन बिना नमक का भोजन किया जाता है. इसके लिए व्रती सुबह स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं. फिर पूजन के बाद लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. चूंकि लौकी और दाल-चावल पौष्टिक भोजन है इसलिए व्रती महिलाओं के लिए यह भोजन सर्वोत्तम माना गया है. ताकि 36 घंटे के व्रत के दौरान उन्हें समस्या ना हो. साथ ही यह भोजन चूल्हे पर पकाने का रिवाज है.
खरना में गुड़ की खीर- छठ पूजा का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम को पूजा में गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद चढ़ाती हैं. फिर यही प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलती हैं.
रखा जाता है 36 घंटे का निर्जला व्रत - खरना के भोजन के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. फिर छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को डूबते सूरज को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद व्रत महिलाएं निर्जला रहती हैं.
छठ पूजा पारण- आखिरी दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. ठेकुआ, मिठाई, फल आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है. फिर इसके बाद महिलाएं यह प्रसाद खाकर अपने 36 घंटे के छठ व्रत का पारण करती हैं.
नाक तक भरती हैं सिंदूर- छठ पूजा में व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार करने के साथ-साथ नाक तक सिंदूर भरती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से पति को लंबी उम्र मिलती है.