RBI : ठिकाने लगाया जाएगा बैंकों में पड़ा लावारिस पैसा, 1 तारीख से शुरू होगा अभियान

 
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SB News Digital Desk, नई दिल्ली: RBI : ठिकाने लगाया जाएगा बैंकों में पड़ा लावारिस पैसा, 1 तारीख से शुरू होगा अभियान हाल ही में आरबीआई की ओर से एक नया अपडेट आया है। जिसके तहत ये कहा गया है कि बैंकों में लावारिस पड़े पैसों का अब ठिकाने लगाया जाएगा.... इस अभियान की शुरूआत 1 तारीख से होगी।

क्या आपके घर में भी मम्मी-पापा या दादा-दादी के नाम का ऐसा कोई बैंक खाता है जो लंबे समय से काम में नहीं आ रहा. तब ये खबर आपके लिए ही है, क्योंकि ऐसे किसी अनऑपरेटिप खाते में आपकी कुछ रकम पड़ी है, तो 1 जून से आरबीआई इसे ‘लावारिस पैसे’ की कैटेगरी में डाल सकता है. इसे ठिकाने लगाने के लिए उसने कुछ नियम बनाए हैं और जल्द ही एक प्रोग्राम ‘100 डेज 100 पेज’ लॉन्च करने जा रहा है.

चलिए पहले जानते हैं कि ये ‘लावारिस पैसा’ है क्या? आरबीआई के लेटेस्ट नियमों के हिसाब से जिन सेविंग या करेंट अकाउंट में कम से कम 10 साल से कोई लेनदेन नहीं हुआ है, उन खातों में पड़ा पैसा इस कैटेगरी में आएगा. जबकि एफडी या आरडी की मैच्योरिटी पूरी होने के बाद 10 सालों के अंदर उस पैसे को नहीं निकाला गया है, तो 1 जून 2023 से ये भी ‘लावारिस पैसे’ यानी ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ की कैटेगरी में आएगा.

 

इन ‘लावारिस पैसों’ को उनके मालिकों तक सही तरीके से पहुंचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ‘100 डेज 100 पेज’ प्रोग्राम लॉन्च करने जा रहा है. इसके लिए बैंकों को ऐसे खातों की पहचान करने और उनके मालिकों तक पहुंचकर पैसा सैटल करने के निर्देश दिए गए हैं. देश के हर जिले में हर बैंक की शाखा ऐसे 100 खातों की पहचान कर 100 दिन के अंदर खातों का सैटलमेंट करेगी.

 

लेटेस्ट गाइडलाइन में ये भी साफ कर दिया गया है कि बैंक ‘लावारिस पैसे’ को आरबीआई के ‘डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनैस’ फंड में ट्रांसफर कर देंगे. अप्रैल 2023 में आरबीआई ने जब अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति का ऐलान किया था तभी साफ कर दिया था कि वह इस ‘लावारिस पैसे’ के बोझ को कम करने के लिए कदम उठा सकती है.

भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर जन जागरुकता अभियान चलाकर आम लोगों को इस तरह के खातों की पहचान करने और उनमें में पड़े ‘लावारिस पैसे’ को क्लेम करने के लिए प्रोत्साहित करता रहता है. केंद्रीय बैंक की ये पहल भी बैंकिंग सिस्टम से इस ‘लावारिस पैसे’ के बोझ को घटाने की कोशिश है.

 आरबीआई ऐसे डिपॉजिटर्स तक पहुंच आसान बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए उसने एक वेबपोर्टल डेवलप करने का निर्णय लिया है, जहां अलग-अलग बैंकों में ‘लावारिस पड़े पैसे’ को खोजना आसान होगा. बस यूजर को इससे जुड़े कुछ इनपुट डालने होंगे. ये पोर्टल अगले 3 से 4 महीने में तैयार होने की उम्मीद है.

रिजर्व बैंक की कोशिश ये भी है नए डिपॉजिट इस तरह के ‘लावारिस पैसे’ की कैटेगरी में नहीं पहुंचे. वहीं मौजूदा ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ को उसके सही मालिक तक सभी मानक पूरे करके जल्द से जल्द हवाले कर दिया जाए.

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