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एक फैसले ने बैंकों की लगा दी लंका आरबीआई ने लिया बड़ा फैसला निवेशकों को तगड़ा झटका ​​​​​​​

एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला हैं की आरबीआई ने कंज्यूमर लोन के रिस्क वेटेड एसेट को बढ़ा दिया है। बता दें कि इसमें क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन शामिल हैं। पर्सनल लोन के लिए जो रिस्क वेटेड एसेट पहले 100 फीसदी था वह अब 125 फीसदी हो गया है. क्रेडिट कार्ड के लिए इसे 125 से बढ़ाकर 150 कर दिया गया है....

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आरबीआई

SB News Digital Desk: आज यानी शुक्रवार को शेयर में मार्केट का रुख मिला-जुला दिख रहा है. बता दें कि सेंसेक्स 92 अंक टूटकर ट्रेड कर रहा है. वहीं, निफ्टी 7 अंकों की गिरावट के साथ सपाट बना हुआ है. इसी बीच बैंक निफ्टी 480 अंक से अधिक टूट गया है. आज बैंकिंग शेयरों में कोहराम मचा हुआ है. लगभग सभी बैंकों के शेयर तेजी से नीचे जा रहे हैं. कई बैंकों के शेयर 2 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं.

एचडीएफसी 0.23 फीसदी, आईसीआईसीआई 1 फीसदी, एसबीआई 3.51 फीसदी, कोटक महिंद्रा 0.37 फीसदी, एक्सिस बैंक 3.13 फीसदी, बैंक ऑफ बड़ौदा लगभग 1 फीसदी, पीएनबी 2.51 फीसदी, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक 3.96 फीसदी, फेडरल बैंक 1.33 फीसदी और बंधन बैंक 2.27 फीसदी टूटकर ट्रेड कर रहे हैं. निफ्टी बैंक पर इंडसइंड और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ही बेहद मामूली बढ़त बनाए हुए हैं.

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शेयरों में गिरावट का आरबीआई का एक आदेश है. आरबीआई ने कंज्यूमर लोन (अनसिक्योर्ड लोन) के रिस्क वेटेड एसेट (Risk Weight Asset) को बढ़ा दिया है. इसमें क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन शामिल हैं. पर्सनल लोन के लिए जो रिस्क वेटेड एसेट पहले 100 फीसदी था वह अब 125 फीसदी हो गया है. क्रेडिट कार्ड के लिए इसे 125 से बढ़ाकर 150 कर दिया गया है. एनबीएफसी को दिए जा रहे लोन के लिए रिस्क वेटेड 100 से बढ़ाकर 125 कर दिया गया है.

 

कई बैंकों द्वारा दिए गए कुल लोन (एसेट अंडर मैनेजमेंट) का एक बड़ा हिस्सा अनसिक्योर्ड लोन होता है. आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों के लिए लोन देना मुश्किल हो जाएगा और लोन की ब्याज दर बढ़ जाएगी. अब ये कैसे होगा. दरअसल, रिस्क वेटेड एसेट का सीधा संबंध लोन से है. अगर रिस्क वेटेड एसेट बढ़ता है तो लोन देना भी मुश्किल हो जाता है.

इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए किसी लोन का रिस्क वेटेड एसेट 100 फीसदी है. इसका मतलब है कि जितने का लोन दिया जा रहा है उतनी ही एसेट उसे सिक्योर करने के लिए भी बैंक के पास होनी चाहिए. अगर कर्जधारक किसी भी वजह से लोन चुकाने से चूक जाता है तो इसका असर बैंक के अन्य ग्राहकों की एसेट पर नहीं होना चाहिए. आरबीआई ने यही रिस्क वेटेड एसेट 150 फीसदी तक कर दिया है.