EPFO : ईपीएस 95 के तहत पेंशन फार्मूले में बदलाव नये फोर्मुले जारी

 
एप्फो

SB News Digital Desk: EPFO : ईपीएस 95 के तहत पेंशन फार्मूले में बदलाव नये फोर्मुले जरी एंप्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन यानी ईपीएफओ (EPFO) मासिक पेंशन निर्धारण के मौजूदा फॉर्मूले में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके तहत पूरी पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन निर्धारित करने का प्रस्ताव है.

हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय पेंशन, उसके लिए भुगतान राशि और जोखिम का आकलन करने वाले ‘एक्चुअरी’ की रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा. मामले से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी. 

फिलहाल ईपीएफओ एम्पालॉइज पेंशन स्कीम (EPS-95) के तहत मासिक पेंशन के निर्धारण के लिए…. पेंशन योग्य सैलरी (अंतिम 60 महीने का औसत सैलरी) X पेंशन योग्य सर्विस (साल में) / 70 ….फॉर्मूले का उपयोग करता है. सूत्र के अनुसार, ‘‘ईपीएस (95) के तहत मासिक पेंशन के लिए फॉर्मूले को बदलने का प्रस्ताव है.

 
 

 इसमें पेंशन योग्य सैलरी अंतिम 60 महीने के औसत सैलरी की जगह पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य वेतन को शामिल करने की योजना है. हालांकि, सूत्रों ने स्पष्ट किया कि यह अभी सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है और इसपर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. अंतिम फैसला ‘एक्चुअरी’ की रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा. 

 ईपीएफओ अगर पेंशन के फॉर्मूले में बदलाव करता है, तो इससे निश्चित रूप से हायर पेंशन का विकल्प चुनने वालों समेत सभी की मासिक पेंशन का निर्धारण मौजूदा फॉर्मूले के मुकाबले कम होगा. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लेते हैं कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने वाले का अंतिम 60 महीने का औसत सैलरी 80,000 रुपये बैठता है और उसकी पेंशन योग्य नौकरी 32 साल है.

ऐसे में मौजूदा फॉमूले (80,000 X 32/70) के तहत उसकी पेंशन….36,571 रुपये होगी. वहीं जब पूरी पेंशन योग्य नौकरी के दौरान वेतन का औसत लिया जाएगा तो मासिक पेंशन का निर्धारण कम होगा क्योंकि नौकरी के शुरूआती दिनों में सैलरी (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता-DA) कम होता है. 

 नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को हायर पेंशन का विकल्प चुनने के लिये 4 महीने का समय देने को कहा था. ईपीएफओ ने ग्राहकों को हायर पेंशन का विकल्प चुनने के लिए कंपनियों के साथ ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भरने के लिए ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई है. इसके लिए समयसीमा पहले 3 मई, 2023 थी, जिसे बढ़ाकर 26 जून, 2023 कर दिया गया है. वर्तमान में ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स पेंशन के लिए निर्धारित सीमा 15,000 रुपये मासिक सैलरी पर योगदान करते हैं जबकि उनका वास्तविक सैलरी इससे कहीं अधिक है. हायर पेंशन के विकल्प से उन्हें ज्यादा मासिक पेंशन मिल पाएगी. 

 

 

 सब्सक्राइबर्स ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजना में 12 फीसदी का योगदान करते हैं. वहीं कंपनी के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी EPS में जाता है. शेष 3.67 फीसदी EPF में जाता है. सरकार एम्पालॉइज पेंशन स्कीम (EPS) में 15,000 रुपये मूल सैलरी की सीमा पर 1.16 फीसदी का योगदान सब्सिडी के रूप में देती है. फॉर्मू्ले में बदलाव की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा कि वास्तव में यह माना जा रहा है कि लंबे समय तक हायर पेंशन देने से वित्तीय बोझ पड़ेगा. इसीलिए नये फॉर्मूले पर विचार किया जा रहा है. 

 

 पेंशन फंड में पड़े 6.89 लाख करोड़ रुपये के कोष से जुड़े एक सवाल के जवाब में सूत्र ने कहा कि यह पैसा केवल पेंशनभोगियों का नहीं है बल्कि ईपीएफओ से जुड़े सभी सब्सक्राइबर्स का है और कर्मचारी निधि संगठन को सभी का ध्यान रखना है. ईपीएफओ की 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक पेंशन फंड में 6,89,211 करोड़ रुपये जमा हैं. EPS फंड पर ईपीएफओ को 2021-22 में 50,614 करोड़ रुपये का ब्याज मिला.
 

 

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