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अनदेखी: दो साल से अधूरी डगर, आमजन को हो रही दिक्कत

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सुवांसा। तालेड़ा से सुवासा होते हुए केशवरायपाटन तक निमार्णाधीन पक्की सड़क का कार्य अब भी अधूरा पड़ा हुआ है, जिसके कारण लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। करीब दो साल पहले इस सड़क को खोदा गया था, लेकिन संवेदक द्वारा इसे समय पर पूरा नहीं किया गया, जिसके कारण सड़क पर गहरे गड्ढे बन गए हैं और स्थानीय लोग जूझ रहे हैं। दो साल से इस मार्ग पर धूल उड़ती रहती है जिससे आवाजाही करने वाले परेशान रहते है। कार्य धीमी गति से, गड्ढों की समस्या विकराल: लगभग डेढ़ साल से सड़क निर्माण का कार्य लटका पड़ा है। सड़क निर्माण में देरी की वजह से वाहन चालकों और आम लोगों को न केवल जाम का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि सड़क के गड्ढों से कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। संवेदक द्वारा सड़क की खुदाई कर छोड़ दी गई है, और इसमें से 8 किलोमीटर के चार हिस्से अभी भी अधूरे पड़े हैं। जबकि, प्रशासन ने कई बार संवेदक को समय सीमा में कार्य पूरा करने की चेतावनी दी थी, इसके बावजूद काम में कोई खास तेजी नहीं आई है।

प्रशासन की लापरवाही, संवेदक की अनदेखी
स्थानीय निवासी राम मुरारी शर्मा, बाजड़ सरपंच नाथूलाल बैरवा, पूर्व प्रधान नरेन्द्र पूरी ने बताया कि लगभग दो साल से सड़क का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है, जिससे न केवल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, बल्कि लोगों की सेहत पर भी बूरा असर पड़ा है। प्रशासन ने कई बार संवेदक को सड़क पर पानी का छिड़काव करने के निर्देश दिए थे, ताकि धूल कम हो, लेकिन संवेदक की लापरवाही के कारण पानी का छिड़काव नहीं हो रहा है, और लोग धूल के कारण बीमार हो रहे हैं।

45 करोड़ की सड़क योजना, फिर भी अधूरी
तालेड़ा से केशवरायपाटन तक 22.5 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना के लिए राज्य सरकार ने 45 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की थी, और इसका निर्माण कार्य सितंबर 2023 तक पूरा होना था। इस योजना के तहत हर गांव में सीसी सड़क और बीच में डामर सड़क बननी थी, लेकिन संवेदक ने एक साल में केवल कुछ हिस्सों का ही काम पूरा किया है। सड़क के कई हिस्से अभी भी अधूरे पड़े हैं, जिससे लोगों को यात्रा करने में कठिनाई हो रही है।

दुपहिया वाहन चालक परेशान
सुवासा, बाजड़, चितावा, छपावदा, जमीतपुरा, रंगपुरिया और नयागांव जैसे क्षेत्रों में डामर सड़क का निर्माण अब भी अधूरा है। सड़क के बीच में जमा हो रही धूल और मिट्टी से दोपहिया वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को भारी परेशानी हो रही है। खासकर रात के समय, जब भारी वाहनों से उड़ी धूल के कारण दृश्यता बिलकुल कम हो जाती है, तब सड़क हादसों की संख्या बढ़ जाती है। जानकारी के अनुसार, कई लोग धूल से चोटिल हुए हैं और इससे सांस संबंधी बीमारियां भी फैल रही हैं।

सरकारी योजनाओं में अव्यवस्था, अधिकारियों की उपेक्षा
मौजूदा स्थिति पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जिले के बड़े अधिकारी और पदाधिकारी इस रास्ते से गुजरने से बचते हैं। वे अक्सर बूंदी से केशोरायपाटन जाने के लिए कोटा होकर जाते हैं, क्योंकि तालेड़ा से केशोरायपाटन की सड़क खस्ता हालात में है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर अधिकारी इस रास्ते से गुजरें तो उन्हें समझ में आएगा कि आम जनता कितनी समस्याओं का सामना कर रही है। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि सरकारी वाहन मिलने की वजह से अधिकारी इस सड़क पर चलने से बचते हैं, क्योंकि इसमें डीजल और पेट्रोल सरकार का खर्च है।

कब होगी सड़क की मरम्मत, कब मिलेगा राहत ?
प्रशासन की ओर से कई बार संवेदक पर जुमार्ना भी लगाया गया था, लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला। अब सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन इस मुद्दे पर ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा? संवेदक पर कार्रवाई करने और जल्द कार्य पूरा कराने के बजाय, प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। इस लंबे समय से चली आ रही समस्या ने अब स्थानीय लोगों को परेशान कर दिया है, और वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकाला जाए।

सुवासा निवासी ग्रामीण अंशुल शर्मा ने बताया केशोरायपाटन और तालेड़ा के बीच में रोजाना 1000 करीब बाइक सवार निकलते हैं जिन्हें हादसे का खतरा रहता है, धूल मिट्टी और रोड पर गिट्टी होने के कारण कहीं बाइक सवार चोटिल हुए हैं।

समाजसेवी सुवासा  निवासी बबलू जांगिड़ ने बताया 2 साल बाद भी सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है जिस कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, रात्रि में बाईक सवार लोगों को बड़े वाहनों के निकलने के बाद धूल मिट्टी के कारण कुछ नहीं दिखता है, जिस कारण धूल मिट्टी से कई लोगों को अस्थमा की शिकायतें हो चुकी है। 

चितावा निवासी ग्रामीण ब्रह्मानंद मीणा ने बताया 45 करोड रुपए की लागत से सीसी और डामर सडक निर्माण कार्य किया जाना था लेकिन सीसी का कार्य पूरा कर दिया गया है और डामर सड़क का काम अधूरा पड़ा हुआ है। 2 साल बाद भी अधूरी सड़क पूरी नहीं हो पाई है।अधूरी डामर सड़क पर मिट्टी और गिट्टी होने के कारण बड़े वाहन निकालने पर पानी का छिड़काव नहीं होने के कारण धूल मिट्टी उड़ती है जिससे रोजाना अप डाउन करने वाले कर्मचारियों और ग्रामीणों को साथ संबंधित बीमारियां होने लगी है। 

इनका कहना है 
संवेदक को जल्द कार्य पूरा करने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं और 5 दिन बाद डामरीकरण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा और धूल मिट्टी ना उड़े इसके लिए संवेदक को पानी छिड़काव के लिए निर्देश दिए गए हैं। 
– राजाराम मीणा, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी बूंदी

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