जयपुर। आधुनिक युग में लगभग हर स्कूल में बच्चे कुर्सी-टेबल पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन ये सुविधाएं कई बार बच्चों की सेहत पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का प्रभाव डालती है। बच्चों का स्कूलों में टेबल-कुर्सी पर बैठकर पढ़ना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है या फर्श पर बैठकर पढ़ने को लेकर चिकित्सकों का कहना हैंकि बच्चों का जमीन पर बैठना उनके जोड़ों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव डालता है। यह उनकी उम्र, बैठने का समय, तरीका और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करता है।
ज्वाइंट्स की लंबी उम्र के लिए फायदेमंद: डॉ. शर्मा
सीनियर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि स्कूल में बच्चों का फर्श पर बैठना हमारी संस्कृति से तो जुड़ा है। बच्चों की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। बार-बार उठने-बैठने से बच्चों की एक्सरसाइज होती है। वे शारीरिक रूप से एक्टिव रहते हैं। घुटने के ज्वाइंट्स मजबूत होते हैं और शरीर की मांसपेशियां भी मजबूत बनती है, जो उनके बेहतर स्वास्थ्य का निर्माण करती है। लेकिन इस दौरान बच्चों को बैठने-उठने का पोस्चर सही रखना जरूरी है।
शरीर का संतुलन बेहतर बनता है: डॉ. अग्रवाल
सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि जमीन पर बैठने से शरीर के विभिन्न जोड़ों खासकर कूल्हों, घुटनों और टखनों के लचीलेपन में सुधार हो सकता है। नीचे बैठने की यह शैली शरीर की मुख्य मांसपेशियों को सक्रिय रखती हैं, जिससे शरीर का संतुलन बेहतर होता है। अगर बच्चे सही तरीके से बैठे, जैसे पैर मोड़कर या सुखासन में तो यह उनके रीढ़ की हड्डी की स्वाभाविक स्थिति बनाए रखने में मदद करता है।
नीचे बैठने से परेशानी भी संभव: डॉ. मलोत
सीनियर पीडियाट्रिक आर्थोपेडिशन डॉ. रजत मलोत ने बताया कि यूं तो बच्चों का नीचे बैठना सही है, लेकिन जमीन पर लंबे समय तक लगातार बैठने से घुटनों, कूल्हों और पीठ पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जो जोड़ों की समस्याओं का कारण बन सकता है। यदि बच्चे झुककर या गलत तरीके से बैठते हैं तो यह उनकी रीढ़ और गर्दन के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है। शिक्षकों को चाहिए कि बच्चों को एक ही स्थिति में लंबे समय तक न बैठने दें। अंतराल पर उठने- चलने के लिए कहे। बैठने के लिए मुलायम दरी या चटाई का उपयोग करें।