रोजाना सांसों में घुल रहा 8 सिगरेट के बराबर का धुआं

कोटा। कोटा की आबो हवा इन दिनों दूषित हो रही है। एयर डंडेक्स 240 पर पहुंच चुका है। हवा इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि सड़कों पर चलने वाला व्यक्ति रोजाना करीब 8 से 10 सिगरेट पीने जितना नुकसान झेल रहा है। वातावरण में इतना पॉल्यूशन जमा हो गया  कि बिना सिगरेट पीने वाला व्यक्ति की सांसों में उतना ही प्रदूषण घुल रहा है, जितना दिनभर में एक सिगरेट का पूरा पैकेट पीने से धुआं शरीर में जाता है। इससे शहरवासियों पर फेफड़े से लेकर ब्लड कैंसर तक घातक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।  दरअसल, सर्दियां बढ़ने के साथ ही एयर क्वालिटी बेहद खराब होने लगी है। मौसम में बदलाव के कारण हवा पूरी गति से नहीं चल रही और कोहरे की वजह से हवा में मौजूद प्रदूषण के कण वायुमंडल में नहीं जा पा रहे और वह हवा के साथ आमजन की सांसों में जाकर शरीर को खतरनाक बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं। विश्व दमा दिवस के मौके पर पेश है, नवज्योति की खास रिपोर्ट….

आगामी तीन महीने बेहद खतरा
मेडिकल कॉलेज में श्वांस रोड विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र ताखर बताते हैं, आगामी सर्दियों के तीन महीने एयर क्वालिटी के लिहाज से खतरनाक होंगे। सर्दियों में कोहरा बढ़ेगा, जिसके कारण वाहनों व उद्योगों से निकलने वाला धुआं व जहरीली गैसें वायुमंडल में नहीं जा पाती और प्रदूषण पार्टिकल्स  कोहरे में लिपटकर रहेंगे, जो हवा के साथ सांसों में घुलकर शरीर को खतरनाक बीमारियों की ओर धकेलते हैं। इन खतरों से बचने के लिए व्यक्ति को मास्क का उपयोग करना चाहिए।

80 हजार से ज्यादा वाहन अवधि पार
जिला परिवहन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कोटा जिले में कुल 5 लाख 69 हजार 607 वाहन पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 80 हजार वाहन 15 साल की अवधि पार हैं। नियमों के अनुसार अवधि पार वाले वाहनों को रिन्यू नहीं करवाए जाने पर रजिस्ट्रेशन निरस्त किए जाने का प्रावधान है। लेकिन आरटीओ द्वारा ऐसे वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। 

गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में अधिक खतरा
डॉ. ताखर बताते हैं, जब एक्यूआई 200 से ऊपर होता है तो 7 से 8 सिगरेट के बराबर का धुआं हवा में सांस लेने वाला हर व्यक्ति के शरीर में जाता है। इसलिए, हवा की गुणवत्ता सुधारना बेहद जरूरी है। इसके लिए पुराने कंडम वाहनों, उद्योगों से निकलने वाला धुआं को कम करने के प्रयास होने चाहिए। साथ ही कंट्रक्शन वर्क व सड़कों की नियमित सफाई हो ताकि, वाहनों के गुजरने के दौरान धूल  न उड़े। क्योंकि, इन नैनो पार्टिकल्स  से फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। 

प्रदूषण से लीवर से कैंसर तक का खतरा
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, वाहनों से निकलने वाले धुएं में अनगिनत नैनो पार्टिकल्स होते हैं, जिनके हवा के साथ शरीर में प्रवेश करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें  खांसी, सिर में दर्द, जी-मिचलाना, घबराहट होना, आंखों में जलन, दिल से संबंधित बीमारियां, दिमाग, फेफड़े, हृदय, गुर्दे, फेफड़े के कैंसर, सांस अटैक, दमा, एलर्जी सहित कई बीमारियों का खतरा बना रहता है। 

सांस का अटैक से आंखों में सूजन तक बीमारियां
सड़कों पर बेधड़क दौड़ रहे खटारा वाहनों से निकलने वाला काला धुआं अपने पीछे गंभीर बीमारियां छोड़ रहा है, जिससे राहगीरों पर सांस के अटैक से लेकर आंखों में सूजन तक कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा सड़कों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के जवानों पर अधिक रहता है। इसके बावजूद यातायात पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। 

सड़कों पर दौड़ रहे खटारा वाहन, उगल रहे काला धुआं
शहर में ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग की नजरों के सामने खटारा वाहन दौड़ रहे हैं, जो डीजल का गहरा काला धुआं छोड़ रहे हैं। इनमें नगर निगम की सिटी बसें भी शामिल हैं। यह बसें शहर के प्रमुख मार्गों से गुजर रही है। जहां ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात रहते हैं, इसके बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। नाम न छापने की शर्त पर बस चालक ने बताया कि प्रदूषण जांच तो छोड़ों लंबे समय से इन बसों की सर्विस तक नहीं हुई है। इसके अलावा खटारा लोडिंग वाहन भी एयरोड्रम सर्किल, घोड़ा सर्किल, सीएडी व कोटाड़ी चौराहा सहित प्रमुख मार्गों से बेधड़क दौड़ रहे हैं। 

बचाव के उपाए
बीमारियों से बचाव में मास्क कारगर 
प्रदूषण से होने वाली घातक बीमारियों से बचाव के लिए मास्क प्रभावशाली उपाए है। हवा में मौजूद प्रदूषण के कण मास्क के कारण सांस के साथ शरीर में नहीं जा पाते। विदेशों में मास्क पहनना लोगों की आदत में शामिल हैं। जबकि, भारत में कोविड के बाद लोगों ने मास्क का उपयोग करना लगभग बंद कर दिया। जबकि, यही मास्क खतरनाक बीमारियों से बचाता है। मास्क का उपयोग अनिवार्य होना चाहिए।

सप्ताह में एक दिन नो कार 
शिक्षाविद् अजीम पठान कहते हैं, सप्ताह में एक दिन नो कार डे होना चाहिए। 1 लीटर पेट्रोल बर्न करने पर वाहन करीब 1 हजार लीटर कार्बनडाई ऑक्साइड धुएं के रूप में छोड़ता है, जो गत वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक आरटीओ में रजिस्टर्ड  56 हजार कारों के प्रति एक लीटर ईधन के हिसाब से करोड़ों लीटर कार्बनडाई ऑक्साइड पर्यावरण में घुल जाता है। यदि एक दिन वाहनों के पहिए थमे तो 2.24 लाख लोगों को स्वच्छ ऑक्सीजन मिल सकती है। 

पब्लिक ट्रांसपोर्ट व वाहन पुलिंग  का हो उपयोग
प्रशासन को शहर में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि लोग अपनी गाड़ियां छोड़ पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करें ताकि, अनावश्यक ज्यादा वाहन सड़कों पर न आएं। वहीं, वाहन पुलिंग के तहत कई लोग एक ही साधन से कार्यस्थल पर पहुंच सकते हैं। इससे न केवल ईधन की बचत होगी बल्कि प्रदूषण भी कम होगा और करोड़ों लीटर ऑक्सीजन भी बचेगा। सरकार को सरकारी कार्यालयों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों व मल्टी स्टोरी में ईवी चार्जिंग लगाना चाहिए। जिससे ईवी व्हीकल्स को बढ़ावा मिलेगा। काला छुआं छोड़ने वाले व अवधि पार वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। 
– डॉ. राजेंद्र ताखर, श्वांस रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज कोटा

यह बात सही है, शहर में पॉल्यूशन का स्तर बढ़ रहा है। पुराने वाहनों को बाहर करने के लिए कार्रवाई की जा रही है। वहीं, कंडम व काला धुआं छोड़ने वाले वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। सख्ती और बढ़ाई जाएगी।
– सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित, जिला परिवहन अधिकारी, आरटीओ

पॉल्यूशन फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी चैक करते हैं, जिनके पास नहीं मिलते, उनके चालान कर रहे हैं। प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। 
– पूरण सिंह, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, यातायात पुलिस

Bhagirath Dhaka Bishnoi

Bhagirath is a journalist from Barmer, Rajasthan. He has worked in many Media houses including Dainik Bhaskar, Rajasthan Patrika And Zee Media. Currently the founder of SB News Tv.

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