नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति कथित स्कैम के मामलों में जमानत की शर्तों में शामिल जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थिति लगाने में ढील देने की दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सिसोदिया की ओर से अधिवक्ता एएम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद दोनों केंद्रीय एजेंसियों को अपना-अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दो सप्ताह बाद विचार करेगी। साथ ही यह स्पष्ट किया कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर आवेदन पर फैसला करेगी।
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि वह (सिसोदिया) सम्मानित व्यक्ति हैं। अदालती आदेश का पालन करते हुए वह संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष लगभग 60 बार पेश हो चुके हैं। उन्होंने मामले में सुनवाई की पास की तारीख मुकर्रर करने की अदालत से गुहार लगाई, क्योंकि उन्हें डर है कि दूसरा पक्ष (ईडी- सीबीआई) मामले में स्थगन की मांग कर सकता है। शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को -सीबीआई और ईडी- दोनों मामलों में जमानत दे दी थी।
शीर्ष अदालत ने जमानत मंजूर करते समय पाया था कि मुकदमे में देरी और लंबे समय तक जेल में रहने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके (सिसोदिया) अधिकार पर असर पड़ता है। शीर्ष अदालत ने जमानत की शर्तों में सिसोदिया को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होने का आदेश दिया था। सिसोदिया ने प्रत्येक जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए जमानत शर्तों में ढील देने की गुहार लगाई है। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सिसोदिया को उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।