कोटा। कोचिंग नगरी में कोचिंग विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्या के बढ़ते मामले थम नहीं रहे हैं। कोचिंग नगरी कोटा में जनवरी से नवंबर तक 11 माह में 22 कोचिंग विद्यार्थियों की मौत हो चुकी है। इस दौरान अकेले एलन कोचिंग संस्थान के 10 स्टूडेंट की मौत हुई है, जिसमें से आठ ने आत्महत्या की है, जबकि 2 की संदिग्ध मौत हुर्ई। इसी क्रम में जवाहर नगर थाना क्षेत्र में देर रात को एलन कोचिंग के एक और छात्र ने हॉस्टल की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। छात्र के आत्महत्या करने के कारण का पता नहीं चल पाया है। छात्र ने कूदने से पहले सुरक्षा जाली को भी काटा है। छात्र को कूदने के बाद हॉस्टल वार्डन द्वारा ही रात करीब 11-12 बजे निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। पुलिस को देरी से सूचना मिली थी।
पुलिस उप-निरीक्षक गोपाल ने बताया कि देर रात करीब 3 बजे सूचना मिली थी कि राजीव गांधी नगर स्थित बीएल हॉस्टल में रह रहे एलन कोचिंग के छात्र विवेक कुमार पुत्र इन्द्र कुमार निवासी अनूपपुर मप्र ने छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद मौके पर पहुंचे और घटना स्थल का मुआयना किया। छात्र विवेक कुमार एक साल से कोटा में रहकर एलन कोचिंग संस्थान से जेईई मैंस की तैयारी कर रहा था। वह अकेला ही रह रहा था। उन्होंने बताया कि कोचिंग छात्र के पिता 15 दिन पहले ही कोटा आकर गए थे। इस दौरान वह सही प्रकार से था।
हर माह दो कोचिंग स्टूडेंट की मौत
कोटा में हर माह 2 कोचिंग स्टूडेंट की मौत हो रही है। जनवरी से नवंबर के 11 माह में 22 कोचिंग विद्यार्थियों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से 17 ने आत्महत्या की जब कि 5 की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है। अकेले एलन कोचिंग संस्थान के 10 स्टूडेंट की मौत पिछले 11 माह में हुई है। इसमें से 8 ने स्वंय मौत को गले लगाया, जबकि 2 की संदिग्ध स्थितियों में मौत हुई है।
छात्र ने काटी नेट
एसआई गोपाल ने बताया कि छात्र ने हॉस्टल में लगी नेट को काट दिया और फिर करीब 11 -12 बजे के बीच कूद गया। तेज आवाज सुनकर अन्य छात्रों ने शोर मचाया, तो वार्डन वहां पहुंचं और उसे तुरंत निजी अस्पताल लेकर गए। वहां से एक बजे पुलिस को सूचना मिली थी। इसके बाद अस्पताल पहुंच गए, रात करीब 3 बजे चिकित्सकों ने छात्र को मृत घोषित किया। शव को मोर्चरी में रखवाया गया है। परिजनों को सूचना दे दी गई है। उनके आने के बाद ही पोस्टमार्टम होगा।
नहीं दिया जवाब
एलन कोचिंग संस्थान के निदेशक गोविन्द माहेश्वरी, नवीन माहेशवरी तथा नितिन शर्मा को अपना पक्ष रखने के लिए फोन किया और वाट्सएप पर मैसेज भी दिया। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।